मेरा चरित्र और मेरा चेहरा,
समाज मेरी हैसियत क्यों बताता?
मेरे अंदर किताबी कीड़े का गुण नहीं,
मेरे लंबे बाल मेरे गुणों को है दर्शाता,
छोटा कद, रंग सांवला और गोल शरीर,
बस इतने में मेरा भविष्य दिख जाता?
इंसान हम भी हैं, गलतियां सभी से होती हैं,
मगर तानों का पिटारा हमारे लिए खुल जाता?
मायका हो या हो ससुराल वाला घर,
लड़कियों की इच्छा क्यों मारी जाती?
रिश्ते निभाने है तो चुप रहना होगा,
गलती न हो फिर भी अपमान सहना होगा,
मगर ये अपमान सिर्फ लड़कियाँ ही क्यों सुने?
बच्चे सफल हो जाएं तो पापा का नाम,
और गलतियाँ करे तो फिर माँ बदनाम,
इस दोहरे चरित्र को बेनकाब करना होगा,
लड़कियों को भी बराबरी का हक देना होगा॥
पूजा गोस्वामी
रोलियाना, उत्तराखंड
चरखा फीचर्स
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